पहलगाम का खून पुकारता है: आतंकवाद के खिलाफ जन-जागरण की मांग
एक घाव जो देश के दिल पर लगा!

आतंक का चेहरा: पहलगाम और इजरायल हमले की समानता
पहलगाम में आतंकवादियों ने जिस तरह से मजहब के आधार पर लोगों को निशाना बनाया, वह ठीक वैसा ही है, जैसा हमास ने इजरायल में किया था। 7 अक्टूबर 2023 को नोवा म्यूजिक फेस्टिवल में हमास के आतंकियों ने निहत्थे इजरायलियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, बंधक बनाए, और क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। पहलगाम में भी आतंकियों ने पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर छांटा, बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को नहीं बख्शा। यह सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि भारत के सेक्युलर ताने-बाने को तार-तार करने की साजिश है।
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, "पहलगाम का हमला इजरायल के 7 अक्टूबर हमले का भारतीय संस्करण है। अगर सरकार में दम है, तो इजरायल की तरह जवाब दे!" यह गुस्सा देश के हर कोने से उठ रही आवाज का प्रतीक है। लोग अब शोक और आंसुओं से आगे बढ़कर आतंकवाद के खिलाफ जंग चाहते हैं।
इजरायल का जवाब: एक प्रेरणा
इजरायल ने हमास के हमले का जवाब ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड्स से दिया। गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को नष्ट किया गया, उनकी सुरंगें उड़ाई गईं, और संगठन का नेतृत्व लगभग खत्म कर दिया गया। इजरायल ने हमास के वित्तीय स्रोतों को बंद किया, क्रिप्टो खातों को फ्रीज किया, और गाजा में बिजली, पानी और ईंधन की आपूर्ति रोक दी। परिणाम? हमास की रीढ़ टूट गई। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, "हम अपने दुश्मनों को खत्म करेंगे, चाहे इसके लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े।"
इजरायल का यह रुख भारत के लिए एक सबक है। आतंकवाद से कोई समझौता नहीं हो सकता। यह समय है कि भारत भी ऐसी ही दृढ़ता दिखाए। पहलगाम के शहीदों का खून व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें आतंकवादियों को, उनके आकाओं को, और उनके समर्थकों को उसी भाषा में जवाब देना होगा, जो वे समझते हैं।
सरकार को जगाने का समय
पहलगाम का दर्द हर भारतीय का दर्द है। वह बच्चा जो ट्रैंपोलिन पर हंस रहा था, वह मां जो अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रही थी, वह युवा जो पैराग्लाइडिंग के रोमांच में डूबा था—ये सभी हमारे अपने थे। उनके खून की एक-एक बूंद भारत से जवाब मांग रही है। यह समय केवल शोक मनाने का नहीं, बल्कि पूरे देश को एकजुट करने का है।
सोशल मीडिया पर #JusticeForPahalgam और #IndiaFightsTerror जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग सड़कों पर उतर रहे हैं, मोमबत्तियां जला रहे हैं, और सरकार से मांग कर रहे हैं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ा जाए। इजरायल के राजदूत रूवेन अजारू ने कहा, "पहलगाम का हमला आतंक की उस मानसिकता का प्रतीक है, जो मानवता को नष्ट करना चाहती है। इसे कुचलना होगा।" उनकी यह बात हर भारतीय के दिल को छू रही है।
हमें सरकार को याद दिलाना होगा कि भारत की जनता अब और सहन नहीं करेगी। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे कदम सराहनीय थे, लेकिन पहलगाम का हमला बताता है कि आतंकवाद की जड़ें अभी बाकी हैं। सरकार को चाहिए कि:
सैन्य कार्रवाई: आतंकवादी ठिकानों पर तुरंत और बड़े पैमाने पर हमले किए जाएं।
खुफिया तंत्र को मजबूत करें: आतंकवादियों की साजिशों को पहले ही भांप लिया जाए।
वित्तीय स्रोत बंद करें: आतंकवादियों को फंडिंग करने वालों को बेनकाब कर उनकी संपत्ति जब्त की जाए।
अंतरराष्ट्रीय दबाव: पाकिस्तान जैसे देशों पर वैश्विक मंचों पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाया जाए।
अब न चुप रहें, न रुकें
पहलगाम में मारे गए 28 लोग सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि भारत का भविष्य थे। उनके परिवारों का दर्द हमारा दर्द है। क्या हम अपने बच्चों को ऐसी दुनिया देना चाहते हैं, जहां वे पर्यटन स्थलों पर भी सुरक्षित न हों? क्या हम अपने सैनिकों को बार-बार शहीद होने के लिए छोड़ देंगे? नहीं! अब समय है कि हम एकजुट होकर सरकार को मजबूर करें कि वह आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंके।
हर भारतीय से मेरा आग्रह है: अपनी आवाज उठाएं। सोशल मीडिया पर लिखें, अपने सांसदों को पत्र भेजें, शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें। हमें सरकार को दिखाना होगा कि भारत की 140 करोड़ जनता आतंकवाद के खिलाफ एक है। जैसा कि एक यूजर ने लिखा, "पहलगाम का बदला लेना ही होगा, वरना हमारी चुप्पी आतंकवादियों की ताकत बनेगी।"
भारत जागो, बदला लो!
पहलगाम का हमला भारत के लिए एक चेतावनी है। यह वही आतंक है, जिसने इजरायल को 7 अक्टूबर 2023 को झकझोरा था। लेकिन इजरायल ने हार नहीं मानी; उसने अपने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया। भारत को भी यही करना होगा। यह समय है कि हम अपने शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दें—न केवल आंसुओं से, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक ऐसी जंग से, जो इसे हमेशा के लिए खत्म कर दे।
भारत की जनता अब जाग चुकी है। हमारा गुस्सा, हमारा दर्द, और हमारा संकल्प सरकार को मजबूर करेगा कि वह पहलगाम के खून का बदला ले। आइए, हम एकजुट हों, आवाज उठाएं, और आतंकवाद को कुचल दें। यह भारत की पुकार है—जय हिंद!
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